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====== হাফিজের গজল ====== | ====== হাফিজের গজল ====== | ||
- | ~~CLOSETOC~~ | + | মূল ফার্সি ও ইংলিশ অনুবাদ থেকে হাফিজের গজলের বাংলা অনুবাদ। |
- | হাফিজের (১৩২৫--৯০, | + | |
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- | ===== ১–১০০ ===== | + | |
- | ==== ১. অন্ধকার রাত ==== | + | |
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- | প্রেম ভাবতাম সোজা, | + | |
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- | কস্তুরীর সুবাস কি রক্তের বন্যা বহায় দিলে! | + | |
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- | যদি ঘণ্টা বারবার বলে, মাহমিল দাও ফেলে। | + | |
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- | পথিক জানে কি পথ কি পাথেয় আছে এ-মঞ্জিলে। | + | |
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- | তীরের তৃপ্ত বান্দা কি জানে আমরা আছি কি হালে? | + | |
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- | রহস্য কি গোপন থাকে যদি ছড়ায় মাহফিলে? | + | |
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- | দয়িতার কাছে গেলে দুনিয়াকে যেতে দাও ভুলে।</ | + | |
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- | که عشق آسان نمود اوّل ولی افتاد مشکلها | + | |
- | به بویِ نافهای کآخر صبا زان طُرّه بُگشاید | + | |
- | ز تابِ جَعدِ مِشکینش چه خون افتاد در دلها | + | |
- | مرا در منزلِ جانان چه اَمنِ عیش، چون هر دَم | + | |
- | جَرَس فریاد میدارد که بَربندید مَحمِلها | + | |
- | به مِی سجّاده رنگین کُن گَرَت پیرِ مُغان گوید | + | |
- | که سالِک بیخبر نَبْوَد ز راه و رسمِ منزلها | + | |
- | شبِ تاریک و بیمِ موج و گِردابی چنین هایل | + | |
- | کجا دانند حالِ ما سبکبارانِ ساحلها؟ | + | |
- | همه کارم ز خودکامی به بدنامی کشید آخر | + | |
- | نهان کِی مانَد آن رازی کَزو سازند مَحفِلها؟ | + | |
- | حضوری گر همیخواهی از او غایب مشو حافظ | + | |
- | مَتٰی ما تَلْقَ مَنْ تَهْویٰ دَعِ الدُّنْیا و اَهْمِلْها</ | + | |
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- | ==== ১৩. বারের দরজা ==== | + | |
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- | ভোরের পেয়ালা, | + | |
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- | পুরানো | + | |
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- | এই নিখাদ ওয়াইন তবে পান করো নিতি। | + | |
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- | আতশের মতো লাল ওয়াইন তোমার প্রাপ্তি। | + | |
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- | দুয়ারের ওপেনার, | + | |
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- | পুড়ে কাবাব হওয়া সিনা আর জানের চুক্তি। | + | |
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- | যেখানে এসেছে এত চমৎকার এই তিথি। | + | |
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- | সাকীর পরীর মতো এই প্রতিমার প্রতি।</ | + | |
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- | الصَبوح الصَبوح یا اصحاب | + | |
- | میچکد ژاله بر رخِ لاله | + | |
- | المُدام المُدام یا احباب | + | |
- | میوزد از چمن نسیمِ بهشت | + | |
- | هان، بنوشید دَم به دَم مِیِ ناب | + | |
- | تخت زُمْرُد زده است گل به چمن | + | |
- | راحِ چون لعلِ آتشین دریاب | + | |
- | درِ میخانه بستهاند دگر | + | |
- | اِفتَتِح یا مُفَتِّح الاَبواب | + | |
- | لب و دَندانْت را حقوق نمک | + | |
- | هست بر جان و سینههایِ کباب | + | |
- | این چنین موسِمی عجب باشد | + | |
- | که ببندند میکده به شتاب | + | |
- | بر رخِ ساقیِ پری پیکر | + | |
- | همچو حافظ بنوش بادهٔ ناب</ | + | |
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- | ==== ১৫. ঘুমের ঘর ==== | + | |
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- | হায়, বেহেশ্তের পাখি, | + | |
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- | নিশায় ঘুমের ঘরে তুমি কার বুকে মাথা ফেলো? | + | |
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- | ক্ষমা ও ক্ষতিপূরণ এত সহজে কিভাবে ভোলো? | + | |
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- | তোমার মদে কি নেশা না বুঝেই পথ শেষ হলো। | + | |
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- | কিছু না হোক | + | |
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- | এ থেকেই বুঝতে পারি কত উপরে তুমি চলো। | + | |
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- | সাবধান, | + | |
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- | শুধু ভুলের পিছনে তোমার যৌবন কেটে গেলো। | + | |
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- | খোদা, | + | |
- | <tab>হাফিজ | + | |
- | দয়া করে ফিরে আসো, নিয়েছ তো আমার সাকল্য।</ | + | |
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- | وی مرغ بهشتی، که دهد دانه و آبت؟ | + | |
- | خوابم بشد از دیده در این فکر جگرسوز | + | |
- | کآغوشِ که شد منزل آسایش و خوابت؟ | + | |
- | درویش نمیپرسی و ترسم که نباشد | + | |
- | اندیشهٔ آمرزش و پروای ثوابت | + | |
- | راه دل عشاق زد آن چشم خماری | + | |
- | پیداست از این شیوه که مست است شرابت | + | |
- | تیری که زدی بر دلم از غمزه خطا رفت | + | |
- | تا باز چه اندیشه کند رای صوابت | + | |
- | هر ناله و فریاد که کردم نشنیدی | + | |
- | پیداست نگارا که بلند است جَنابت | + | |
- | دور است سر آب از این بادیه، هش دار | + | |
- | تا غول بیابان نفریبد به سرابت | + | |
- | تا در ره پیری به چه آیین رَوی ای دل | + | |
- | باری به غلط صرف شد ایامِ شبابت | + | |
- | ای قصرِ دل افروز که منزلگهِ انسی | + | |
- | یا رب مَکُناد آفتِ ایام، خرابت | + | |
- | حافظ نه غلامیست که از خواجه گریزد | + | |
- | صلحی کن و بازآ که خرابم ز عِتابت</ | + | |
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- | ==== ৬৪. পরী ও দেবী ==== | + | |
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- | জিভ একদম চুপ! যদিও মুখ ভরা আরবি। | + | |
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- | ভস্ম হয়ে | + | |
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- | আবু লাহাবের আগুনে আরো বাতি | + | |
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- | এ কারণই যথেষ্ট যে খুব সাধারণ তার নীবি। | + | |
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- | বারের মস্তব স্বর্গ, | + | |
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- | কখনোবা আঙুরের পর্দা লুকায় তোমার ছবি। | + | |
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- | এখন মাতাল বলে সুখে হারিয়েছি লজ্জা সবই। | + | |
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- | মধ্যরাতের দোয়ায় এই শুধু হাফিজের দাবি।</ | + | |
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- | زبان خموش، ولیکن دهان پُر از عربیست | + | |
- | پری نهفته رخ و دیو در کرشمهٔ حُسن | + | |
- | بسوخت دیده ز حیرت که این چه بوالعجبیست | + | |
- | در این چمن گلِ بی خار کس نچید آری | + | |
- | چراغِ مصطفوی با شرارِ بولَهَبیست | + | |
- | سبب مپرس که چرخ از چه سفله پرور شد | + | |
- | که کام بخشی او را بهانه بی سببیست | + | |
- | به نیم جو نخرم طاقِ خانقاه و رباط | + | |
- | مرا که مَصطَبه ایوان و پای خُم طَنَبیست | + | |
- | جمالِ دختر رَز نورِ چشمِ ماست مگر | + | |
- | که در نقابِ زجاجی و پردهٔ عِنبیست | + | |
- | هزار عقل و ادب داشتم من ای خواجه | + | |
- | کنون که مستِ خرابم، صلاح بیادبیست | + | |
- | بیار می که چو حافظ هزارم استظهار | + | |
- | به گریهٔ سحری و نیازِ نیم شبیست</ | + | |
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- | ==== ৯৬. কান্না ও বহ্নি ==== | + | |
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- | আমাদের বিচ্ছেদের নাই কোনো শেষ, করো ত্রাণ! | + | |
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- | ত্রাণ করো সুন্দরের নিষ্ঠুর নির্দেশ থেকে ত্রাণ! | + | |
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- | শুধু চাই দিলদস্যুদের এই দেশ থেকে ত্রাণ! | + | |
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- | হে মুসলমান, | + | |
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- | রয়ে গেছে শুধু কান্না ও বহ্নির রেশ, করো ত্রাণ!</ | + | |
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- | هجرِ ما را نیست پایان الغیاث | + | |
- | دین و دل بردند و قصدِ جان کنند | + | |
- | الغیاث از جورِ خوبان، الغیاث | + | |
- | در بهایِ بوسهای جانی طلب | + | |
- | میکنند این دلسِتانان الغیاث | + | |
- | خونِ ما خوردند این کافردلان | + | |
- | ای مسلمانان چه درمان؟ الغیاث | + | |
- | همچو حافظ روز و شب بی خویشتن | + | |
- | گشتهام سوزان و گریان الغیاث</ | + | |
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- | ==== ৯৭. আখের রেওয়াজ ==== | + | |
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- | কোন দিলবার তোমাকে কর দিতে হবে নারাজ? | + | |
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- | তোমার কোঁকড়া চুল পায় চীন হিন্দের খিরাজ। | + | |
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- | তোমার চুলের | + | |
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- | তোমার মিঠাই-ঠোঁট মিশরের আখের রেওয়াজ। | + | |
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- | আমার জান আর দিলে না আসে তোমার ইলাজ! | + | |
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- | আমার নাজুক দিল আদরে ভেঙে যাওয়া কাচ। | + | |
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- | সাইপ্রেস, | + | |
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- | হাফিজের দিল জান দিয়ে চায় সেই মহারাজ।</ | + | |
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- | سِزَد اگر همهٔ دلبران دَهَندَت باج | + | |
- | دو چشمِ شوخِ تو برهم زده خَطا و حَبَش | + | |
- | به چینِ زلفِ تو ماچین و هند داده خراج | + | |
- | بیاضِ رویِ تو روشن چو عارِضِ رُخِ روز | + | |
- | سوادِ زلفِ سیاهِ تو هست ظلمت داج | + | |
- | دهانِ شهدِ تو داده رواج آب خِضِر | + | |
- | لبِ چو قندِ تو بُرد از نباتِ مصر رواج | + | |
- | از این مرض به حقیقت شفا نخواهم یافت | + | |
- | که از تو دردِ دل ای جان، نمیرسد به عِلاج | + | |
- | چرا همیشکنی جانِ من ز سنگدلی؟ | + | |
- | دلِ ضعیف که باشد، به نازکی چو زُجاج | + | |
- | لبِ تو خضر و دهانِ تو آبِ حیوان است | + | |
- | قدِ تو سرو و میان موی و بَر، به هیئت عاج | + | |
- | فِتاد در دلِ حافظ هوایِ چون تو شَهی | + | |
- | کمینه ذرهٔ خاکِ درِ تو بودی کاج</ | + | |
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- | ==== ৯৮. ধুলার অস্তিত্ব ==== | + | |
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- | তুমি যা ঠিক ভাবো আমিও তাই ভাবি নির্বিবাদ। | + | |
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- | মুখের সাদা যে দিয়েছে সে-ই সৃষ্টি করে প্রভাত। | + | |
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- | বা ভুরুর ধনুক ও চোখের তির থেকে নাজাত। | + | |
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- | বুকের সাগরে চলে না কোনো নাবিকের ইস্পাত। | + | |
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- | আমাদের ধুলার অস্তিত্ব তার ধাতের সম্পাত। | + | |
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- | শত হাজার আর্জিতেও দিল পায়নি তার স্বাদ। | + | |
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- | চলতে থাকুক একটানা এ সন্ধ্যা থেকে প্রভাত। | + | |
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- | লম্পট আশিক মজনুতে কেউ খোঁজে না নিখাদ।</ | + | |
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- | صلاحِ ما همه آن است کان تو راست صلاح | + | |
- | سَوادِ زلفِ سیاهِ تو جاعِلُ الظُّلُمات | + | |
- | بَیاضِ رویِ چو ماهِ تو، فالِقُ الاَصباح | + | |
- | ز چینِ زلفِ کمندت کسی نیافت خلاص | + | |
- | از آن کمانچهٔ ابرو و تیرِ چشم، نَجاح | + | |
- | ز دیدهام شده یک چشمه در کنار روان | + | |
- | که آشنا نکند در میان آن، مَلّاح | + | |
- | لبِ چو آبِ حیاتِ تو هست قُوَّتِ جان | + | |
- | وجودِ خاکیِ ما را از اوست ذکرِ رَواح | + | |
- | بداد لعلِ لبت بوسهای به صد زاری | + | |
- | گرفت کام دلم زو به صد هزار اِلحاح | + | |
- | دعای جانِ تو وردِ زبان مشتاقان | + | |
- | همیشه تا که بُوَد متصل مَسا و صَباح | + | |
- | صَلاح و توبه و تقوی ز ما مجو حافظ | + | |
- | ز رند و عاشق و مجنون کسی نیافت صلاح</ | + | |
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- | ==== ৯৯. ফারুখের মুখ ==== | + | |
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- | ফারুখের চুলের মতন হয়েছে জটিল। | + | |
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- | হতে পারেনি ফারুখের মুখের শামিল। | + | |
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- | যাত্রাপথে ফারুখের জানুতে পায় মঞ্জিল। | + | |
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- | যেই দেখে ফারুখের দিলমাতানো শরীর। | + | |
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- | ফারুখের জাদুর নার্গিস হৃদয়ে দাখিল। | + | |
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- | যেমন ধনুর মতো ফারুখের ভ্রু কুটিল। | + | |
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- | ফারুখের চুল থেকে আসে অম্বর-অনিল। | + | |
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- | শুধু ফারুখের দিকে আমার দিলের মিল। | + | |
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- | মতো হিন্দু ফারুখের হুকুম করে তামিল।</ | + | |
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- | بُوَد آشفته همچون مویِ فَرُّخ | + | |
- | بجز هندویِ زلفش هیچ کس نیست | + | |
- | که برخوردار شد از روی فَرُّخ | + | |
- | سیاهی نیکبخت است آن که دایم | + | |
- | بُوَد همراز و هم زانوی فَرُّخ | + | |
- | شَوَد چون بید لرزان سروِ آزاد | + | |
- | اگر بیند قدِ دلجویِ فَرُّخ | + | |
- | بده ساقی شرابِ ارغوانی | + | |
- | به یادِ نرگسِ جادوی فَرُّخ | + | |
- | دوتا شد قامتم همچون کمانی | + | |
- | ز غم پیوسته چون ابروی فَرُّخ | + | |
- | نسیم مُشک تاتاری خِجِل کرد | + | |
- | شمیم زلف عَنبربوی فَرُّخ | + | |
- | اگر میلِ دلِ هر کس به جایست | + | |
- | بُوَد میلِ دلِ من سوی فَرُّخ | + | |
- | غلامِ همتِ آنم که باشد | + | |
- | چو حافظ بنده و هندوی فَرُّخ</ | + | |
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- | ==== ১০০. হাওয়া ==== | + | |
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- | ওয়াইন তোমার দিলদুঃখের ইয়াদ মুছে দিক। | + | |
- | বলেছিলাম, | + | |
- | বলেছিল, | + | |
- | যদি লাভ ক্ষতি জমা সবই ঘুরে তোমার হাতে, | + | |
- | এ নিয়ে সুখ বা দুঃখ সবকিছুকেই বলো, ধিক! | + | |
- | শূন্যতাকে দিল দিলে হাতে থাকবে শুধুই হাওয়া, | + | |
- | হাওয়া হয়েছে সোলায়মানেরও তখত মানিক। | + | |
- | হাকিমের হিকমত শুনে কাতর হলে, হাফিজ, | + | |
- | কিসসা কম করি, জীবন যাপন করো অধিক।</ | + | |
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- | گفتا شراب نوش و غمِ دل بِبَر ز یاد | + | |
- | گفتم به باد میدهدم باده نام و ننگ | + | |
- | گفتا قبول کن سخن و هر چه باد، باد | + | |
- | سود و زیان و مایه چو خواهد شدن ز دست | + | |
- | از بهر این معامله غمگین مباش و شاد | + | |
- | بادت به دست باشد اگر دل نهی به هیچ | + | |
- | در معرضی که تخت سلیمان رَوَد به باد | + | |
- | حافظ گرت ز پندِ حکیمان مَلالت است | + | |
- | کوته کنیم قصه، که عمرت دراز باد</ | + | |
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- | ===== ১০১–২০০ ===== | + | |
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